उत्तर प्रदेशलखनऊ

जैसे नागनाथ वैसे सांपनाथ मुख्तार को जेल में ठाठ कराने वाले को गाजीपुर जेल की कमान जेल में पीसीओ चलाने के मामले में फंसे राकेश कुमार किए निलंबित

जन एक्सप्रेस।राज्य मुख्यालय लखनऊ:  यूपी के गाजीपुर जिले की जेल फिर से सुर्खियों में है। अवैध फोन बूथ, बैरक आवंटन और प्राइवेट किचन में मनचाहा खाना की सुविधाएं रुपये लेकर बंदियों को दिए जाने के मामले से चर्चित रहने वाली जेल इस बार नए जेलर को लेकर चर्चा में है। अब इस जेल की कमान राकेश कुमार वर्मा की जगह वीरेंद्र कुमार वर्मा दी गई है। वीरेंद्र कुमार का भी िववादों से गहरा नाता रहा है। बांदा जेल में माफिया मुख्तार अंसारी को सुविधाएं उपलब्ध कराने का दोषी पाए जाने पर वीरेंद्र कुमार को निलंबित किया गया था। उन्होंने जेल में तैनाती के दौरान मुख्तार के अलावा कुछ अन्य बंदियों को नियमों को ताख पर रखकर सुविधाएं उपलब्ध कराई थीं।

 

सवा साल काटा निलंबन
वीरेंद्र वर्मा गाजीपुर जिला जेल में प्रभार ग्रहण कर लिया। इससे पहले करीब 15 माह का निलंबन काटने के बाद वह नवंबर 2024 में वाराणसी केंद्रीय कारागार के जेलर बने थे। निलंबन की पृष्ठभूमि बांदा जेल बनी थी, जहां माफिया मुख्तार को सात अप्रैल 2021 को पंजाब की रोपड़ जेल से लाया गया था। 2023 में बांदा जेल में माफिया और दूसरे अपराधियों को सुविधाएं उपलब्ध कराने के कई मामले सामने आए थे, जिन्हें शासन ने गंभीरता से लिया था।

दो साल पहले जेल में बरामद हुईं थी संदिग्ध वस्तुएं
एक अप्रैल 2023 को बांदा जेल में चेिकंग के दौरान कई ऐसी वस्तुएं बरामद हुईं थी जो नियम विरुद्ध उपलब्ध कराई गईं थीं। इन सबके पीछे तत्कालीन जेलर वीरेंद्र कुमार वर्मा का नाम सामने आया था। तब डीजी जेल रहे एसएन साबत ने वीरेंद्र कुमार वर्मा का स्थानांतरण 20 अप्रैल 2023 को फतेहगढ़ जेल कर दिया गया था। फतेहगढ़ जेल से स्थानांतरण कर एक जुलाई को सुलतानपुर जिला जेल का प्रभारी अधीक्षक बना दिया गया है। बाद में बांदा मामले की जांच में दोषी पाए जाने के बाद 14 जुलाई 2023 को वीरेंद्र कुमार निलंबित कर दिए गए थे।

 

कइयों पर कार्रवाई की तलवार
अवैध कॉलिंग मामले में गाजीपुर जिला जेल अधीक्षक अरुण प्रताप सिंह को निलंबित कर दिया गया। जेलर राकेश कुमार वर्मा और डिप्टी जेलर सुखवती देवी को भी सस्पेंड किया जा चुका है। मामले में कई औरों पर भी कार्रवाई की जा सकती है। सुरक्षा की दृष्टि से जेल प्रशासन ने 16 कैदियों को दूसरी जेलों में शिफ्ट कर दिया है।

डीएम आर्यका अखौरी के निरीक्षण में खुलासा
डीएम आर्यका अखौरी ने गाजीपुर जेल में निरीक्षण किया तो पाया कि कई कैदियों को वीआईपी ट्रीटमेंट दिया जा रहा था, इसके एवज में उनसे मोटी रकम ली जा रही थी। बिना रोक-टोक आम लोगों की तरह फोन का इस्तेमाल किया जा रहा था। जेल प्रशासन की मिलीभगत से अवैध रूप से पीसीओ चलाया जा रहा था।जांच के दौरान जेल में बंद कैदियों से पूछताछ की गई तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए थे।

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