जन एक्सप्रेस/ लखनऊ: बॉलीवुड की चर्चित अदाकारा ममता कुलकर्णी ने महाकुंभ 2025 में आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत करते हुए संन्यास ले लिया है। प्रयागराज में आयोजित इस महाकुंभ के दौरान उन्होंने अपने पुराने जीवन को अलविदा कहते हुए भगवा वस्त्र धारण कर लिए। अब ममता कुलकर्णी को नए नाम “श्री यमाई ममता नंद गिरी” से जाना जाएगा।
प्रयागराज महाकुंभ में लिया संन्यास
प्रयागराज के महाकुंभ में ममता ने जूना अखाड़े के आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से संन्यास की दीक्षा ली। इस पवित्र अवसर पर उन्होंने संगम के तट पर पिंडदान किया और आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत की। संन्यास के बाद उन्हें किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर की उपाधि से भी सम्मानित किया जाएगा।
बॉलीवुड से आध्यात्म तक का सफर
ममता कुलकर्णी ने 90 के दशक में ‘तिरंगा’, ‘करण अर्जुन’, ‘क्रांतिवीर’ और ‘आशिक आवारा’ जैसी सुपरहिट फिल्मों से दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई। 2002 में फिल्म ‘कभी हम कभी तुम’ के बाद उन्होंने फिल्मी दुनिया को अलविदा कह दिया।
24 साल बाद भारत लौटकर बदला जीवन
24 सालों तक भारत से दूर रहीं ममता ने हाल ही में वापसी की है। इन सालों में उन्होंने अध्यात्म और साधना में समय बिताया। ममता का कहना है कि 1996 में गुरु गगन गिरी महाराज से उनकी मुलाकात ने उनके जीवन की दिशा बदल दी। इसके बाद वह केन्या और दुबई में रहकर तपस्या करती रहीं।
आध्यात्म में मिली नई पहचान
ममता ने संन्यास के बाद कहा, “बॉलीवुड ने मुझे नाम और शोहरत दी, लेकिन मेरी आत्मा को शांति आध्यात्म में मिली। पिछले 12 सालों में मैंने ब्रह्मचर्य का पालन किया और साधना के जरिए खुद को पहचाना।”
महामंडलेश्वर बनने की तैयारी
महाकुंभ में दीक्षा के बाद ममता को किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर की पदवी दी जाएगी। इस पदवी को ग्रहण करने के लिए चादरपोशी की रस्म अदा की जाएगी। अब ममता कुलकर्णी आध्यात्मिक जीवन में पूरी तरह समर्पित हो चुकी हैं।
बॉलीवुड से संन्यास तक: एक प्रेरक यात्रा
बॉलीवुड की चकाचौंध को छोड़कर ममता कुलकर्णी का अध्यात्म और संन्यास का सफर कई लोगों के लिए प्रेरणा बन सकता है। यह दिखाता है कि जीवन में शांति और संतोष पाने के लिए भौतिक चीजों से अलग होकर आत्मिक सुख को अपनाया जा सकता है।
ममता कुलकर्णी का संदेश
ममता ने अपनी यात्रा के बारे में कहा, “जीवन में असली शांति तभी मिलती है, जब आप अपने भीतर झांकते हैं और अपनी आत्मा को पहचानते हैं। मैंने जो चुना है, वही मेरी असली पहचान है।”