तिलोई वनक्षेत्र में अवैध कोयला भट्टियों का धंधा, हरियाली पर संकट
एक कोयला भट्ठी में प्रतिमाह फूंकी जाती है आठ सौ कुंतल लकड़ी

जन एक्सप्रेस/ अमेठी: अमेठी के तिलोई वनक्षेत्र में वन विभाग की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर अवैध कोयला भट्टियां संचालित हो रही हैं। इन भट्टियों में प्रतिमाह लगभग आठ सौ कुंतल लकड़ी जलाकर कोयला तैयार किया जाता है। एक भट्टी को भरने के लिए चार सौ कुंतल लकड़ी लगती है, जो पंद्रह दिनों तक सुलगती है और सवा सौ कुंतल कोयला तैयार होता है। इस लकड़ी की खपत से रोजाना सैकड़ों वृक्षों की कटाई हो रही है, जिससे पर्यावरण और हरियाली पर भारी असर पड़ रहा है।
वन विभाग की मिलीभगत और मौन स्वीकृति
वन क्षेत्राधिकारी और डीएफओ स्तर के अधिकारी इस अवैध गतिविधि पर अंकुश लगाने के बजाय चुप्पी साधे हुए हैं। चार दर्जन से अधिक कोयला भट्टियां कई वर्षों से बिना किसी रोक-टोक के चल रही हैं। वनकर्मियों पर आरोप है कि वे लकड़ी के कारोबारियों से प्रति ट्राली फिक्स रेट लेते हैं। यदि कोई शिकायत होती भी है, तो मामूली जुर्माना लेकर मामला रफा-दफा कर दिया जाता है।
स्कूलों और मदरसों के पास संचालित भट्टियां
चिंता की बात यह है कि शिवरतनगंज थाना मुख्यालय और विद्यालयों के आसपास भी कई कोयला भट्टियां संचालित हो रही हैं। यहां से तैयार कोयला लखनऊ, वाराणसी, और गोरखपुर जैसे बड़े शहरों में 35 रुपये प्रति किलो की दर से बेचा जाता है। स्थानीय लोगों और पर्यावरणविदों का कहना है कि वन विभाग की अनदेखी से जंगल खत्म हो रहे हैं और पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है। इस समस्या का समाधान किए बिना हरियाली बचाना मुश्किल है।