
जन एक्सप्रेस/अयोध्या: 30 जनवरी की रात 10 बजे एक 22 साल की लड़की घर से निकली। मगर वापस नहीं आई। परिजन उसे ढूंढते रहे। इसके बाद 31 जनवरी को अयोध्या कोतवाली में अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया। 1 फरवरी को गांव से 700 मीटर दूर जंगल की नहर में उसकी न्यूड लाश मिली। हाथ-पैर बांधकर उसे पेड़ से लटकाया गया। उसकी बॉडी नहर को टच कर रही थी। दोनों आंखों पर चोट थी, जैसे नोचा गया हो।चेहरे और सिर पर गहरे घाव थे। शरीर पर जगह-जगह जख्म थे। उसका पैर भी टूटा हुआ था।
इस हत्या के बाद पुलिस ने जांच पड़ताल शुरू की और इस घटना में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया। दलित युवती की हत्या पर मुक्य आरोपी दिग्विजय सिंह ने खुद कुबूलते हुए कहा कि उन लोगों ने पहले युवती को दौड़ाकर खेत में दबोचा फिर दुपट्टा मुंह में ठूंस दिया, लेकिन लगातार विरोध करने बाद दिग्विजय ने गुस्से में उसके सिर पर डंडे से मारा। आरोपियों का कहना ये भी है कि उन्हें पता ही नहीं चला की युवती की मृत्यु हो गई है। इस वारदात के बाद पुलिस ने सोमवार को दिग्विजय सिंह उर्फ बाबा, हरिराम कोरी और विजय साहू को गिरफ्तार किया। दिग्विजय मृतक के गांव का ही रहने वाला है। उसका युवती के पिता के पास आना-जाना था। दो महीने पहले युवती के भाई ने दिग्विजय को पीटा था। बेइज्जती का बदला लेने के लिए उसने ये कदम उठाया।
बेइज्जती का बदला मर्डर से लिया
पुलिस पूछताछ में दिग्विजय ने बताया कि वो लोग खेत में शराब पी रहे थे। इतने में रास्ते पर वो (दलित लड़की) अकेले आती दिखी। उसको देखते ही उन्हें उसके भाई से हुई मारपीट और बेइज्जती याद आ गई और वो गुस्से में उसकी तरफ दौड़ा। दिग्विजय को देखते ही देखते ही वह खेत की तरफ भागने लगी लेकिन दिग्विजय ने उसे दौड़ाकर दबोच लिया।
जब वह चीखने लगीतो दिग्विजय ने उसके दुपट्टे को ही उसके मुंह में ठूंस दिया, लेकिन वह विरोध करती रही। आरोपी ने नशे में उसे बेहरमी से पीटा, सिर पर डंडे मारे। काफी देर बाद उन्हें समझ आया कि वह मर चुकी है।लेकिन वे यही नहीं रुके मरने की बाद भी वो लोग उसके साथ करीब एक घंटे तक हैवानियत करते रहे।
उस दिन पूरे गांव में लाउडस्पीकर लगे थे। कथा सुनाई जा रही थी, इसलिए किसी को कुछ पता नहीं चला।
लाश लेकर कॉलेज पहुंचे, टॉयलेट में छिपा दी
आरोपी ने बताया कि लड़की की मौत होने के बाद वो लोग घबरा गए। विजय साहू और हरीराम कोरी को डर था कि कोई रास्ते पर हमें देख लेग, इसलिए लड़की की लाश को खींचते हुए वो लोग टेक्निकल डिग्री कॉलेज की तरफ लेकर चले गए क्यूंकि कॉलेज खाली रहता है। लाश को घसीटते हुए कॉलेज के टॉयलेट में लेकर पहुंचे। नशे में होने के कारन वे लोग कई बार गिरे लेकिन लाश को किसी तरह टॉयलेट में छुपा ही दिया।
आरोपी ने यह भी बताया की विजय और हरिराम को डर था कि कहीं वे लोग पकड़े ना जाये,पकड़े जाने के दर से उन्होंने टॉयलेट से बाहर आकर देखा तोह पूरा सन्नाटा था। अँधेरे में दूर-दूर तक किसी के होने का आभास नहीं हो रहा था। इसके बाद लड़की की बॉडी को उन्होंने मिलकर सूखी नहर में फेंकने के बारे में सोचा और उसके उसके हाथ-पैर पकड़कर खेतों के रास्ते सूखी नहर की तरफ चल पड़े।
गिरते-पड़ते किसी तरह सूखी नहर पहुंचे
बताया जा रहा है कि यह नहर गांव के बिल्कुल बाहर थी। कॉलेज से 200 मीटर ही दूर। आरोपियों ने यह नहीं बताया कि रास्ते में लाश को ले जाते वक्त कितनी बार वे लोग गिर भी पड़े, क्योंकि अंधेरे में खेत के गड्ढे नहीं दिख रहे थे। लाश को फिर उठाते, फिर चल पड़ते। किसी तरह हम लोग सूखी नहर तक पहुंचे। वहां लाश के हाथ-पैर पेड़ की लताओं से बांध दिए।लाश को उठाकर वो लोग किसी तरह नहर पर पहुंचे और लाश को ठिकाने लगा दिया ,और रस्ते में घर जाते वक्त उन्होंने अपने हाथ पेअर भी धोये ताकि किसी को शक न हो।