चित्रकूट

प्रकृति के इस अनुपम उपहार को संरक्षण चाहिए

खूबसूरती बिखेर रहे झरनों के संरक्षण में जिम्मेदारों की रुचि नहीं

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प्रकृति प्रदत्त उत्कृष्ट टोहफे को संरक्षण की आपूर्ति

 

विशेष रिपोर्ट – सचिन वन्दना 
चित्र। जन एक्सप्रेस 
यूं तो पुरातत्विक राजधानी के साथ प्राकृतिक प्रकृति के लीये दूर-दूर तक प्रसिद्ध है। जिले के पूर्व और पश्चिम दिशा के एमपी बार्डर से लगे व्याराज्ञी क्षेत्र जिसे पाठा के नाम से जाना जाता है, प्रकृति ने इस क्षेत्र को कुछ खास तवज्जो दिया है। इस पूरे क्षेत्र को प्रकृति ने अपना उत्कृष्ट तोहफो से साराबोर कर रखा है। यहां ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक स्थानों की भरमार है, जहां तक ​​पहुंचना ही यात्रा की थकान पल भर में दूर हो जाता है।
मिसाल में चित्र के जंगल हरियाली से दमक उठे हैं। जंगल में बारिश से लेकर पहाड़ों तक के झरने गिरते हैं। ऐसा ही एक मनमोहक दृश्य है, 53 किमी दूर मानिकपुर क्षेत्र के मौन गुरदरी गांव के निकट राघव जल वितरण का। प्राकृतिक समुद्र से झील राघव प्रपात साहसिक पर्यटन का दृश्य अत्यंत महत्वपूर्ण है। बरदाहा नदी यहां से पन्ना की ओर जाती है और बड़ी-बड़ी चट्टानों से टकराकर यहां बरदाहा का पानी झरने के रूप में नीचे गिरता है। राघव प्रपात नामक इस झरने को देखने से यहां तक ​​का सबसे अधिक आनंद प्राप्त होता है। बड़ी-बड़ी शिलाओं को पेड़ और लताएं क्रिस्टल उन पर चढ़ते उतरते आगे हो या फिर मंडल के बल यहां पहुंचें पर जब जलप्रपात की श्वेत धाराएं सूरज की किरणों के साथ अठखेलियां करती हैं तो उन्हें देखने का एक अलग ही आनंद होता है। इसी तरह से पाठा क्षेत्र में चमकते रामानिया झरने भी रंगीन दिखते हैं।
संरक्षण में जिम्मेदारियों की रुचि नहीं 
ऐसे प्राकृतिक खलों को बचाने की जिम्मेदारी वन विभाग और पर्यटन विभाग की है, साथ ही ऐसे रमणीय एवं दर्शनीय स्थलों को प्राकृतिक रूप से बचाने के लिए हम सभी को भी आगे आना होगा। हर किसी का प्रयास प्राकृतिक सुंदरता को बचाना संभव है। प्रकृति द्वारा उत्कृष्ट तोहफ़े को संरक्षण की आवश्यकता है। लेकिन जिम्मेदारियों की इसके अलावा में बिल्कुल भी पता नहीं है। देखने के लिए यह साइट अपना वजूद खोता जा रहा है। शासन-प्रशासन द्वारा इसके नितांत आवश्यक है।
बड़ी संख्या में देखने के लिए ग्राफिक्स शैलानी 
पाठा के माउ गुरदारी स्थित प्रकृति की गोद में अठियां करते हैं राघव जल प्रपात को देखने के लिए बड़ी संख्या में शैलानी प्रतिमाएं हैं। मारकुंडी वन क्षेत्र के तुलसी जल वितरण को संरक्षित किया गया है। इसी तरह से राघव जल प्रपात को बचाने की चाहत है। पर्यटन दृष्टि से यह स्थल अत्यंत महत्वपूर्ण है। सर्कस के समान भी प्रकृति सौंर्यता के दावे से अत्यंत समृद्ध और अमृद्ध क्षेत्र है। एक तरह से कहा जाए तो यह क्षेत्र है प्राकृतिक ख़ूबसूरती का अद्भुत भंडार।

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