कांग्रेस ने लगाया आरोप, मोदी सरकार ने निजीकरण के जरिये आरक्षण को कमजोर किया
नई दिल्ली। कांग्रेस ने सोमवार को आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने निजीकरण के जरिये आरक्षण को ‘‘कमजोर’’ किया है। पार्टी ने दावा किया कि भाजपा द्वारा ‘‘प्रधानमंत्री के कुछ मित्रों’’ को राष्ट्र की संपत्ति ‘‘बिना सोचे-समझे’’ सौंपा जाना दर्शाता है कि उनके (मोदी के) लिए कॉरपोरेट हित हमेशा लोगों की भलाई से ऊपर रहेंगे। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि प्रत्येक निजीकरण के साथ ही दलितों, आदिवासियों और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) परिवारों के लिए रोजगार में आरक्षण समाप्त हो जाता है। उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा,
संविदाकरण दलित, आदिवासी और ओबीसी परिवारों को आरक्षण से वंचित करने का एक तरीका है।’’ जयराम रमेश ने कहा, ‘‘मोदी सरकार ने निजीकरण के जरिए आरक्षण को कमजोर कर दिया है। ये हैं तथ्य- प्रधानमंत्री मोदी के ‘अन्याय काल’ में 2.7 लाख केंद्रीय पीएसयू कर्मचारियों ने अपनी नौकरी खो दी है, ठेका कर्मियों की हिस्सेदारी 2013 के 19 प्रतिशत से बढ़कर 2022 में 43 प्रतिशत हो गई है। 1991 में विनिवेश प्रक्रिया की शुरुआत के बाद से हुए सभी विनिवेश में से 72 प्रतिशत प्रधानमंत्री मोदी की निगरानी में हुआ है।’’
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक उपक्रम (पीएसयू) पिछड़े क्षेत्रों के विकास और कमजोर समुदायों के लिए रोजगार सृजन के माध्यम से समावेशी विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, ‘‘भाजपा द्वारा बिना सोचे समझे देश की संपत्तियों को प्रधानमंत्री के ‘‘कुछ मित्रों’’ को औने-पौने दाम पर सौंपना और बड़े पैमाने पर नौकरियों की हानि से प्रधानमंत्री की कार्यशैली उजागर हो गई है। कॉरपोरेट हित हमेशा लोगों की भलाई पर हावी रहेंगे।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले 10 वर्षों में सार्वजनिक उपक्रमों की अंधाधुंध बिक्री हुई है और लाखों सरकारी नौकरियों के नुकसान के कारण आरक्षण विफल हो गया है।