लखनऊ

कानपुर में डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर ले रहा आकार, 10 हजार करोड़ से अधिक का निवेश

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लखनऊ। कभी ‘पूरब का मैनचेस्टर’ कहा जाने वाला कानपुर आने वाले दिनों में आयुध नगरी के रूप में विख्यात होने जा रहा है। देश को रक्षा उत्पाद के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दिशा-निर्देशन में यूपी डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (यूपी डीआईसी) तेजी से आकार ले रहा है।

यूपी डीआईसी के प्रदेश में छह नोड हैं, जिसमें कानपुर नोड में सर्वाधिक निवेश हो रहा है। कानपुर नोड में सबसे बड़े पैमाने पर रक्षा क्षेत्र से जुड़े उत्पादों का निर्माण होगा। इसमें छोटे-बड़े हथियारों से लेकर गोला-बारूद और देश की सेना के लिए अत्याधुनिक वस्त्रों का निर्माण भी शामिल है। यही नहीं कानपुर नोड में अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़े उपकरणों को भी निर्मित किया जाएगा।

कानपुर के नरवल तहसील अंतर्गत साढ़ में 218 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर आकार ले रहा है। यूपीडा के अधिकारियों के अनुसार अबतक यहां 24 कंपनियों ने निवेश की इच्छा जाहिर की है, जिसमें से पांच कंपनियों ने निवेश शुरू करते हुए कार्य प्रारंभ कर दिया है। इसमें सबसे बड़ा नाम अदाणी समूह का है। अदाणी ने बीते फरवरी माह से ही यहां अपनी फैक्टरी शुरू कर दिया है। 1500 करोड़ रुपये के निवेश से शुरू हुए इस प्रोजेक्ट के जरिए छोटे, मध्यम और बड़े कैलिबर के गोला-बारूद के विविध रेंज का निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा 38 करोड़ रुपये से आधुनिक मैटेरियल एंड साइंसेज़ प्रा.लि. द्वारा सैनिकों के लिए अत्याधुनिक वस्त्रों के निर्माण का कार्य भी शुरू हो चुका है। 360 करोड़ रुपये से नेत्र ग्लोबल प्रा.लि. आर्टलरी शेल का निर्माण करेगी और 3500 करोड़ रुपये से अनंत टेक्नोलॉजी एलईओ और जीईओ सैटेलाइट निर्माण से जुड़े उपकरण तैयार करेगी।

यूपीडा के अधिकारियों के अनुसान कानपुर नोड के लिए अबतक 210 हेक्टेयर से अधिक भूमि अलॉट की जा चुकी है। डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के कानपुर नोड से कुल 18 हजार से भी अधिक रोजगार सृजन होने की उम्मीद है। अबतक कुल 17 सौ करोड़ से अधिक का निवेश धरातल पर उतर चुका है, जिससे फिलहाल ढाई हजार रोजगार युवाओं को प्राप्त हुए हैं। कानपुर नोड में इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए योगी सरकार 62 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करेगी। इसमें से लगभग 33 करोड़ के कार्य पूरे हो चुके हैं। इसके अलावा 16 करोड़ रुपये से अधिक के कार्य निर्माणाधीन हैं। वहीं 13 करोड़ से अधिक के कार्यों के लिए टेंडर प्रक्रिया जारी है।

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