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आदिवासियों के घरों को वन विभाग द्वारा गिराए जाने का मामला

जन एक्सप्रेस चित्रकूट 

भैरमबाबा पुरवा में मुख्यमंत्री आवास के लाभार्थियों के घरों को ढहाया गया

चित्रकूट जिले के मानिकपुर क्षेत्र के पाठा क्षेत्र के ग्राम पंचायत चुरेहकशेरुवा के मजरा भैरमबाबा पुरवा में स्थित आदिवासी बस्ती में वन विभाग द्वारा किए गए घरों के ध्वस्तीकरण को लेकर ग्रामीणों ने गंभीर आरोप लगाए हैं।इन आरोपों के मुताबिक, वन विभाग ने मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत बने कोल आदिवासियों के घरों को बिना पूर्व सूचना के ढहा दिया। 6 जनवरी को यह घटना घटी, जब लाभार्थियों के घरों को तोड़ा गया, जिससे स्थानीय ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया है।

ग्रामीणों का आरोप: शासन-प्रशासन की उदासीनता

ग्रामीणों का कहना है कि इस मामले के बारे में उन्होंने प्रशासन को पहले ही सूचित किया था, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। आदिवासी समुदाय के लिए आवास उपलब्ध कराने की जो योजना सरकार द्वारा चलाई जा रही है, वह अब उनके लिए उलझन का कारण बन गई है। ग्रामीणों ने तहसीलदार और थाना मानिकपुर को लिखित शिकायत दी है, लेकिन प्रशासन ने अभी तक इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया है।

आदिवासी सेना का विरोध प्रदर्शन की धमकी

पूर्व विधानसभा प्रत्याशी और आदिवासी सेना के राष्ट्रीय संयोजक शिवपूजन कोल ने आरोप लगाया कि आदिवासियों के साथ हो रहा यह अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर गरीबों के साथ न्याय नहीं हुआ, तो वे धरना प्रदर्शन कर तहसील का घेराव करेंगे। शिवपूजन कोल ने यह भी कहा कि प्रशासन की उदासीनता के कारण आदिवासियों को न्याय नहीं मिल रहा है और यह स्थिति बहुत गंभीर है।

वन विभाग और प्रशासन के खिलाफ आरोप

वन विभाग ने आदिवासी बस्ती को अपने क्षेत्र में बताते हुए घरों को गिरा दिया, लेकिन जांच में यह पता चला कि वन विभाग का क्षेत्र उन घरों से काफी दूर है। 40 वर्ष पहले राजस्व विभाग द्वारा किए गए परिसीमन के अनुसार, यह बस्ती वन विभाग की सीमा से बाहर स्थित थी, फिर भी वन विभाग ने दबंगई और गुंडागर्दी के बल पर आदिवासियों के घरों को तोड़ दिया।

आदिवासियों की दुखभरी स्थिति: पलायन की आशंका

भैरमबाबा पुरवा के आदिवासी परिवारों का कहना है कि अब उनके पास रहने के लिए घर नहीं हैं, और अगर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो वे मजबूरी में पलायन करने को बाध्य होंगे। यह स्थिति उनके लिए बहुत ही कठिन और निराशाजनक हो गई है।

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