औरंगाबाद-उस्मानाबाद के नाम बदलने पर अदालत की टिप्पणी
बॉम्बे हाईकोर्ट : बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि नाम में क्या रखा है? दरअसल कोर्ट ने यह टिप्पणी इसलिए की है क्योंकि महाराष्ट्र सरकार ने औरंगाबाद जिले का नाम बदलकर छत्रपति संभाजी नगर और उस्मानाबाद का नाम बदलकर धाराशिव करने का फैसला लिया है। इसके खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गईं हैं। तमाम याचिकाओं को खारिज करने के साथ ही कोर्ट ने कहा कि नाम में क्या रखा है।
अवैध नहीं है अधिसूचना- बॉम्बे हाईकोर्ट
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की पीठ ने कहा कि दाखिल की गई याचिकाओं में कुछ खास बात नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा नाम बदलने के लिए जारी की गई अधिसूचना में हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। अदालत ने आगे कहा कि औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना किसी भी तरह से अवैध नहीं है।
अदालत ने सुनाया यह फैसला
अपने फैसले में विलियम शेक्सपीयर के के नाटक रोमयो एंड जूलियट का जिक्र करते हुए मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर ने कहा कि नाम में क्या रखा है। पीठ ने अपने फैसले में कहा कि महाराष्ट्र भूमि राजस्व संहिता के तहत राज्य सरकार किसी भी राजस्व क्षेत्र को खत्म करने और क्षेत्र का नाम बदलने की अनुमति दे सकती है। अदालत ने अपने फैसले में आगे कहा कि राज्य सरकार ने औरंगाबाद और उस्मानाबाद के नाम बदलने का फैसला लेने से पहले कानूनी शर्तों के पालन किया है। बता दें कि औरंगाबाद और उस्मानाबाद के कई लोगों ने बॉम्बे हाईकोर्ट में नाम बदलने के खिलाफ याचिकाएं दायर की थी।