
जन एक्सप्रेस /सिंहपुर/ अमेठी: ग्राम पुरे चौबे स्थित तालाब संख्या 334 (रामपुर पवारा, विकासखंड सिंहपुर) पर अवैध कब्जे का मामला सामने आया है। इस सार्वजनिक तालाब की ज़मीन पर धान और गेहूं की खेती की जा रही है, जिससे जल संरक्षण एवं पर्यावरण संतुलन को खतरा पैदा हो रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि इस अवैध कब्जे की शिकायत कई बार संबंधित अधिकारियों से की गई है , लेकिन अभी तक तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
तालाब के संरक्षण में लापरवाही
ग्राम पुरे चौबे का यह तालाब वर्षों से जल संचयन का मुख्य स्रोत रहा है। लेकिन अब कुछ लोगों नें इस पर अवैध कब्जा करके खेती कर रहे है , जिससे इसका प्राकृतिक स्वरूप खत्म होता जा रहा है। ग्रामीणों के अनुसार, “पहले यह तालाब पूरे साल पानी से भरा रहता था, लेकिन अब इसमें अवैध कब्ज़े के चलते पानी का संग्रहण रुक गया है। यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो यह पूरी तरह नष्ट हो सकता है।”कानूनी प्रावधानों की हो रही अनदेखी सरकारी अभिलेखों के अनुसार, यह तालाब सार्वजनिक संपत्ति के रूप में दर्ज है और इसे किसी अन्य उपयोग में नहीं लाया जा सकता। भारत के राजस्व कानूनों के तहत किसी भी सार्वजनिक जल स्रोत पर अवैध कब्जा गैरकानूनी है। इसके बावजूद इस तालाब पर खेती की जा रही है, जिससे जल संरक्षण के प्रयासों को झटका लग रहा है।
प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल
गाँव वालों ने प्रशासन से कई बार शिकायत की, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। इस संबंध में जब तहसील प्रशासन से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि मामले की जांच कर जल्द ही आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, इससे पहले भी कई बार आश्वासन दिए गए, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।तालाब की भूमि पर अवैध कब्जे और प्रशासन की निष्क्रियता से ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि यदि जल्द से जल्द तालाब को अतिक्रमण मुक्त नहीं कराया गया, तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे। ग्रामीणों ने प्रशासन से जल्द कार्रवाई की मांग की है ताकि तालाब को जल संरक्षण के लिए दोबारा उपयोग में लाया जा सके।अब देखना यह होगा कि प्रशासन कब तक इस गंभीर मामले पर कार्रवाई करता है और तालाब को अतिक्रमण मुक्त कर पाता है या नहीं। यदि समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो भविष्य में अन्य जल स्रोतों के साथ भी यही स्थिति उत्पन्न हो सकती है।