सेना की खाली पड़ी जमीन के उपयोग को लेकर शुरू हुई कयावद
सांसद और शहर विधायक रेल मंत्री से मिल दिया पत्रक

जन एक्सप्रेस/ गाजियाबाद : गाजियाबाद के विजय नगर इलाके में सेना की खाली पड़ी जमीन के उपयोग को लेकर जनता की निगाहे अब नेताओं की तरफ बड़े आशा के साथ देख रही है, कि शायद उन्हें कोई बड़ा कॉलेज, स्कूल, शादी विवाह घर, बड़ा अस्पताल अथवा रिहायशी आवास योजनाओं का लाभ मिल सकेगा । जबकि शहर सांसद हो या शहर विधायक उनकी गंठबंधन वाली राजनीति रेलवे को जमीन आवंटन कराने के पक्ष के पैरवी करने से नागरिकों के आशाओं पर पानी फिरना जैसा लगने लगा है ।
नवनिर्वाचित विधायक संजीव शर्मा के पहल पर कार्यवाही शुरू
गाजियाबाद शहर विधानसभा क्षेत्र में सेना की 161 एकड़ जमीन पर 40 सालों से अवैध कब्जे को लेकर नवनिर्वाचित विधायक संजीव शर्मा के पहल पर कार्यवाही शुरू हुई । पुलिस और प्रशासन के सहयोग से 1 हफ़्ते में पूरे क्षेत्र से 1500 से ज्यादा झुग्गियों और हजारों अतिक्रमणकारियों से सेना की फायरिंग रेंज के लिए आरक्षित भूमि से कब्जा हटाया गया ।
अब शहर सांसद और शहर विधायक इस सेना की जमीन पर रेलवे के माध्यम से विकास योजनाओं को साकार करने में लग गए हैं। इसको लेकर सांसद अतुल गर्ग और विधायक संजीव शर्मा ने रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव से दिल्ली में मुलाकात करके पत्रक तक सौंप दिया । जबकि जनता अपने लिए सोचती रही ।
जनता ने किया पार्क और एम्स के सेटेलाइट सेंटर सहित उच्च शिक्षण संस्थान की मांग
ट्रांस हिंडन समेत इससे लगे इलाके सरकारी सुविधाओं और व्यवस्थाओं से सदा उपेक्षित रहे हैं। जिसके पीछे सरकारी जमीनों का विकास योजनाओं के लिए नहीं मिलना मुख्य है। सेना की 161 एकड़ जमीन और उसकी भौतिक स्थिति को देखे तो इसका उपयोग जनहित सहित स्कूल, कॉलेज, अस्पताल अथवा आईआईटी जैसे उच्च शिक्षण संस्थान खोलकर किया जा सकता है। शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में बढ़ती महंगाई डायन सिद्ध हुई है । आज निजी क्षेत्र में बड़े बड़े घराने बड़े बड़े अस्पताल , उच्च शिक्षा के लिए इंजीनियरिंग समेत अन्य कॉलेज खोल रहे हैं। जिनमें महंगी फ़ीस और अध्ययन कमजोर और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लिए कष्टकारी साबित हो रहा है । समय रहते सरकार और उसके जनप्रतिनिधि जनता के प्राथमिक हित के प्रति चिंतनशील हो जाए तो ऐसे सांसद और विधायक जिले के इतिहास में स्वर्णिम नाम दर्ज करा सकते हैं।
पार्क और एम्स की सुविधाओं की घोषणा के बाद मामला ठंडा पड़ा
ज्ञात हो कि सिद्धार्थ विहार में आवास विकास परिषद को बहुद्देशीय और बड़े पार्क की योजना को जमीन पर उतारने की जिम्मेदारी मिली हुई है। लेकिन अधिकारियों की उदासीनता कहे अथवा धन की कमी आजतक यह योजना जमीन पर उतरने की बात तो छोड़िए फाइलों में भी आकर नहीं ले पा रही है। खाली पड़ी जमीनों पर बिल्डरों की नजरें गड़ी हैं तो अधिकारी उनके नज़रों को आकर देने की जुगत में इसलिए जनता की योजनाएं ठंडे बस्ते में चली जा रही है। इसी प्रकार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा उपचुनावों के पहले एम्स के सेटेलाइट सेंटर की स्थापना हेतु ट्रांस हिंडन को बड़ी सौगात दिया लेकिन वह भी अधिकारियों की दौड़ धूप के बाद पुनः ठंडे बस्ते में है। अब जब जब सरकार के पास जमीन और विकास की योजनाएं दोनों ही है तो क्यों नहीं इसका उपयोग जनहित में करती है ?