संस्कृत हमारी प्रगति और पहचान की भाषा है: पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश के सतना जिले के चित्रकूट में प्रसिद्ध रघुबीर मंदिर में पूजा-अर्चना की। पीएम मोदी दोपहर में श्री सद्गुरु सेवा संघ ट्रस्ट के कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के लिए चित्रकूट पहुंचे। प्रधानमंत्री ने तुलसी पीठ का भी दौरा किया। उन्होंने कांच मंदिर में पूजा की और दर्शन किए और तुलसी पीठ के जगद्गुरु रामानंदाचार्य से आशीर्वाद लिया। सार्वजनिक समारोह के दौरान, प्रधान मंत्री मोदी ने तुलसी पीठ में अष्टाध्यायी भाष्य, रामानंदाचार्य चरितम और भगवान श्री कृष्ण की राष्ट्रलीला नामक तीन पुस्तकों का विमोचन किया।
तुलसी पीठ में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, प्रधान मंत्री ने कहा, “मुझे आज कई राम मंदिरों में पूजा करने का सौभाग्य मिला। मुझे जगद्गुरु रामानंदाचार्य का भी आशीर्वाद मिला। चित्रकूट ने मुझे हमेशा प्रेरित किया है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया में इन हजारों वर्षों में कितनी ही भाषाएं आईं और चली गईं। नई भाषाओं ने पुरानी भाषाओं की जगह ले ली। लेकिन हमारी संस्कृति आज भी उतनी ही अक्षुण्ण और अटल है। संस्कृत समय के साथ परिष्कृत तो हुई लेकिन प्रदूषित नहीं हुई।
मोदी ने कहा कि दूसरे देश के लोग मातृभाषा जाने तो ये लोग प्रशंसा करेंगे लेकिन संस्कृत भाषा जानने को ये पिछड़ेपन की निशानी मानते हैं। इस मानसिकता के लोग पिछले एक हजार साल से हारते आ रहे हैं और आगे भी कामयाब नहीं होंगे। इससे पहले नरेंद्र मोदी लेफ्टिनेंट श्री अरविंद भाई मफतलाल के शताब्दी जन्म वर्ष समारोह में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि अरविंद भाई का परिवार उनकी परमार्थिक पूंजी को लगातार समृद्ध कर रहा है। मैं इसके लिए उनके परिवार के सभी सदस्यों को बधाई देता हूं
प्रधानमंत्री ने कहा कि चित्रकूट के बारे में कहा गया है -कामद भे गिरि राम प्रसादा। अवलोकत अपहरत विषादा।। अर्थात चित्रकूट के पर्वत, कामदगिरि, भगवान राम के आशीर्वाद से सारे कष्टों और परेशानियों को हरने वाले हैं। उन्होंने कहा कि चित्रकूट की ये महिमा यहां के संतों और ऋषियों के माध्यम से ही अक्षुण्ण बनी हुई है। पूज्य रणछोड़दास जी ऐसे ही संत थे। उनके निष्काम कर्मयोग ने मुझे हमेशा प्रेरित किया है।