चित्रकूटधर्म

कान्हा उपवन में श्री रामवनगमन मार्ग के सीमांकन व तीर्थस्थलों के माहात्म्य पर गोष्ठी सम्पन्न

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जन एक्सप्रेस संवाददाता
चित्रकूट। कान्हा उपवन में जहं जहं राम चरण चलि जाहीं शीर्षक पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रो योगेश चन्द्र दुबे, कुलपति, जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विवि चित्रकूट व अति विशिष्ट अतिथि डॉ रामनारायण त्रिपाठी, संचालक, गायत्री शक्तिपीठ, चित्रकूट व अध्यक्षता डा राम अवतार शर्मा, निदेशक, श्रीराम सांस्कृतिक शोध संस्थान दिल्ली द्वारा दीप प्रज्वलित कर सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरुआत हुई।

प्रो योगेश चन्द्र दुबे ने कहा कि चित्रकूट ऋषि मुनियों की तपोस्थली है। यहां का कण कण पूजित एवं वंदित है। यह आध्यात्मिक ऊर्जा से सेवित भूमि है। आदि कवि महर्षि वाल्मीकि ने आदि रामायण व संत तुलसीदास ने रामचरितमानस यहीं चित्रकूट की पावन भूमि में लिखा। इसलिए यह भूमि महत्त्वपूर्ण है। डॉ रामनारायण त्रिपाठी ने कहा कि श्री राम के त्याग और आदर्शों को जीवन में उतारने की महती आवश्यकता है। जीवन में मानवता व नैतिक मूल्यों का संरक्षण जरूरी है। शिक्षक डॉ संग्राम सिंह ने कहा कि चित्रकूट संतों की भूमि है जहां महर्षि वाल्मीकि, महर्षि अत्रि, महर्षि मार्कण्डेय, महर्षि माण्डव्य, संत तुलसीदास की तपोभूमि है।

इन ऋषियों का जीवन दर्शन हम सबके लिए अनुकरणीय है। इस अवसर पर अतिथियों द्वारा शिक्षक राज्य पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक पुष्पराज सिंह प्रअप्रावि छेछरिहा बुजुर्ग को अंगवस्त्र व चित्रकूट दर्शन भेंट किया। डा रामप्यारे विश्वकर्मा, डा दीनबंधु, डा बीडी सिंह, डा अशोक सिंह, डा नवल त्रिपाठी ने अपने विचार रखे। अध्यक्षीय उद्बोधन में डा राम अवतार शर्मा ने कहा कि पूरे देश यात्राएं करके श्री राम से जुड़े स्थलों का संरक्षण व संवर्द्धन आवश्यक है। हर स्थलों में मानचित्र लगाकर सभी लोगों को श्री राम से जुड़े का परिचय करना है। कार्यक्रम में संगीता चंदेल, मोमना बेगम, जितेन्द्र सिंह, शैलेन्द्र सिंह, सोमनाथ यादव, अवध बिहारी, अवनीश, कृष्णकांत, लवलेश कुशवाहा, लोकमणि मिश्रा आदि मौजूद रहे।

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