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विपक्षी एकता की बात करने वाले Sharad Pawar नहीं बचा पाए पार्टी

महाराष्ट्र की राजनीति में रविवार को ऐसा उलटफेर देखने को मिला की पूरी सरकार में ही बदलाव आ गया। पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का साथ छोड़ उनके भतीजे अजित पवार ने पार्टी से बगावत कर महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के गुट वाली शिवसेना को ना ही सिर्फ समर्थन दिया बल्कि महाराष्ट्र सरकार में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ भी ग्रहण कर ली।

अजित पवार ने कुछ समय पूर्व ही विपक्ष के नेता पद से इस्तीफे की पेशकश की थी। इसके बाद वो रविवार को महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री बन गए है। उन्होंने रविवार को राजभवन में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। उन्होंने राजभवन में लगभग 20-30 विधायकों के साथ पहुंचकर पार्टी को अपना समर्थन दिया। अजित के साथ नौ विधायकों ने भी शपथ ली है।

शरद पवार नहीं बचा सके पार्टी
बीते महीने शरद पवार ने जब पार्टी से इस्तीफा दिया था तो इस फूट की शुरुआत तभी हो गई थी। एक तरफ विपक्षी एकता का राग अलापने वाली शरद पवार अपनी ही पार्टी को मजबूत से एकजुट नहीं रख पाएं हैं, जो कि वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले शरद पवार की पार्टी को बड़ा झटका है। हाल ही में पटना में विपक्षी एकता का नारा बुलंद करने वाले शरद पवार अपनी ही पार्टी मे चल रही बगावत पर काबू नहीं पा सके और उनकी पार्टी में इस कारण बड़ी फूट हो गई। उनकी पार्टी के लगभग 20-30 विधायक उनका साथ छोड़कर अजित पवार के नेतृत्व में एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना के साथ जुड़ गए है। गौरतलब है कि अजित पवार द्वारा पार्टी छोड़ने पर शरद पवार की राजनीति को एक बड़ा झटका लगेगा, जिससे उबर पाना उनके लिए इतना आसान नहीं होगा।

इस कारण पड़ी फूट

कि राजनीति के महान खिलाड़ी माने जाने वाले शरद पवार ने हाल ही में एनसीबी में बड़ा फेरबदल किया था। उन्होंने सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को नई जिम्मेदारी सौंपते हुए उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था। अजित पवार को बड़ी जिम्मेदारी ना मिलने पर ही वो नाराज थे और उन्होंने बगावती तेवर दिखाने शुरू कर दिए थे। हालांकि इस संबंध में कोई पुष्टि नहीं की गई थी मगर अब टूट पूरी तरह से सामने आ गई है।

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