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यह संसार भगवान का एक सुंदर बगीचा है-तुलसीराम शास्त्री

जन एक्सप्रेस/ अम्बेडकरनगर : तहशील कटेहरी के अंकारीपुर गांव में चल रहे नौ दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथा वाचक तुलसीराम शास्त्री ने भगवान के चौबीस अवतारों की कथा के साथ-साथ समुद्र मंथन की बहुत ही रोचक एवं सारगर्भित कथा सुनाते हुए कहा कि यह संसार भगवान का एक सुंदर बगीचा है। यहां चौरासी लाख योनियों के रूप में भिन्न-भिन्न प्रकार के फूल खिले हुए हैं। जब-जब कोई अपने गलत कर्मों द्वारा इस संसार रूपी भगवान के बगीचे को नुकसान पहुंचाने की चेष्टा करता है तब-तब भगवान इस धरा धाम पर अवतार लेकर सजनों का उद्धार और दुर्जनों का संघार किया करते हैं।

समुद्र मंथन की कथा सुनाते हुए कहा कि मानव हृदय ही संसार सागर है। मनुष्य के अच्छे और बुरे विचार ही देवता और दानव के द्वारा किया जाने वाला मंथन है। कभी हमारे अंदर अच्छे विचारों का चितन मंथन चलता रहता है और कभी हमारे ही अंदर बुरे विचारों का चितन मंथन चलता रहता ।शास्त्री ने बताया कि जिसके अंदर के दानव जीत गया उसका जीवन दुःखी, परेशान और कष्ट कठिनाइयों से भरा होगा और जिसके अंदर के देवता जीत गया उसका जीवन सुखी, संतुष्ट और भगवत प्रेम से भरा हुआ होगा। इसलिए हमेशा अपने विचारों पर पैनी नजर रखते हुए बुरे विचारों को अच्छे विचारों से जीतते हुए अपने मानव जीवन को सुखमय एवं आनंद मय बनाना चाहिए। कथा के प्रारंभ में श्री भागवत भगवान का पूजन कर आरती उतारी गई मुख्य यजमान उर्मिला त्रिपाठी, दीपकुमार त्रिपाठी, संदीप त्रिपाठी,जय त्रिपाठी, सुरेश त्रिपाठी, कौशल त्रिपाठी, सत्यम त्रिपाठी सहित लोगों ने भगवान की आरती उतारी।

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