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अर्जित कार्यानुभव के लिए बोनस अंक से वंचित रखना गैर वाजिब : हाईकोर्ट

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जोधपुर । राजस्थान हाईकोर्ट ने लैब तकनीशियन नियमित भर्ती 2023 के मामले में मंगलवार काे महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि राजस्थान पैरामेडिकल कॉउन्सिल में रजिस्ट्रेशन से पूर्व, राजकीय अस्पताल में अर्जित कार्यानुभव के लिए बोनस अंक से वंचित करना गैरवाजिब है। याची को छह सप्ताह के भीतर बोनस अंक देकर लैब तकनीशियन पद पर समस्त पारिणामिक परिलाभ सहित नियुक्ति देने के आदेश दिए। अधिवक्ता यशपाल ख़िलेरी ने की याचिकाकर्ता अर्जुन सेन की ओर से पैरवी की। राजस्थान हाइकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश विनीत कुमार माथुर की एकलपीठ से भारी राहत मिली।

रातानाडा जोधपुर निवासी व एमडीएम अस्पताल में कार्यरत अर्जुन सेन की ओर से अधिवक्ता यशपाल ख़िलेरी व विनीता ने रिट याचिका दायर कर बताया कि राजस्थान पैरामेडिकल कॉउन्सिल जयपुर के अधीन दो वर्षीय लैब टेक्नोलॉजी में डिप्लोमा पास कर मथुरादास माथुर अस्पताल जोधपुर में कोरोनाकाल के दौरान विषम परिस्थितियों में दाे जुलाई 2021 को लैब तकनीशियन के सविंदा पद पर जॉइन किया था तब से ही वह नियमित लगातार सेवाएं दे रहा है। तत्समय पैरामेडिकल कॉउन्सिल ने भी कोविड-19 की महामारी को मद्देनजर रखते हुए रेजिस्ट्रेशन के बिना ही लैब तकनीशियन व रेडियोग्राफर पदों पर सविंदा नियुक्ति के लिए कंसीडर करने के लिए चिकित्सा विभाग को पत्र लिखा। तदनुसार इमरजेंसी को देखते हुए चिकित्सा विभाग ने मान्यता प्राप्त संस्थान से डिप्लोमाधारी अभ्यर्थियों को माह जुलाई 2021 में नियुक्तियां दी गयी ताकि राजकीय अस्पतालो की सेवाएं सुचारू रूप से चल सकें। अब लैब तकनीशियन के पदों पर नियमित भर्ती के लिए विज्ञप्ति 31 मई 2023 जारी की गई। याची ने भी अपना आवेदन पेश किया जिसमें बाद चयन प्रक्रिया, चिकित्सा विभाग ने अस्थायी चयन सूची जारी की, जिसमे याची का चयन कर लिया गया लेकिन अंतिम चयन सूची से उसका नाम यह कहते हुए हटा दिया कि उसके राजस्थान पैरामेडिकल कॉउन्सिल जयपुर में रेजिस्ट्रेशन होने की दिनांक से अनुभव की गणना की जाने पर वह बोनस अंक का हकदार नहीं है।

याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि विज्ञप्ति में यह कहीं पर भी नहीं लिखा गया है कि अनुभव की गणना रेजिस्ट्रेशन की दिनांक से की जाएगी। विज्ञप्ति की शर्तों अनुसार वह सभी निर्धारित योग्यता रखता है और बोनस अंक पाने का भी हकदार हैं। समान पद पर कार्य अनुभव, नियमित पद के लिए निर्धारित अपेक्षित योग्यता नहीं होकर वह केवल बोनस अंक का हकदार बनाती हैं। ऐसे में समान पद पर किया गया कार्य अनुभव को शून्य नहीं किया जा सकता है जबकि संविदा नियुक्ति भी राज्य सरकार स्वयं ने दी थी।

राज्य सरकार की ओर बताया गया कि पूर्व प्रकरण माधव सिंह बनाम राज्य सरकार में समान रिट याचिका खारिज की जा चुकी हैं। जिस पर याची के अधिवक्ता ख़िलेरी ने उक्त रेफर्ड प्रकरण के तथ्य व परिस्थितिया भिन्न होने से उक्त न्यायिक दृष्टांत प्रस्तुत प्रकरण में लागू नहीं होने व डिस्टिंगसएबल होने का निवेदन किया गया। याची के प्राप्तांक सामान्य और ओबीसी वर्ग के अंतिम कटऑफ से भी ज्यादा है, ऐसे में उसे नियुक्ति से वंचित करना गैरकानूनी और असवैधानिक है।

प्रकरण के तथ्यों और मामले की परिस्थितियों को देखते हुए और याची के अधिवक्ता के तर्कों से सहमत होकर राजस्थान हाइकोर्ट एकलपीठ ने रिट याचिका स्वीकार करते हुए याचिकाकर्ता को 15 बोनस अंक दिए जाकर मेरिट अनुसार समस्त नोशनल पारिणामिक परिलाभ सहित लैब तकनीशियन पद पर छह सप्ताह के भीतर भीतर नियुक्ति देने का आदेश दिया।

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