देश

श्रद्धा और निक्की मर्डर केस के बाद दी गई थी याचिका

Listen to this article

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक जनहित याचिका पर आश्चर्य व्यक्त किया, जिसमें लिव-इन रिलेशनशिप के अनिवार्य पंजीकरण की मांग की गई थी। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने आश्चर्य जताया कि क्या याचिकाकर्ता वास्तव में अनिवार्य पंजीकरण की मांग करके अपनी सुरक्षा को बढ़ावा देने की आड़ में लिव-इन रिलेशनशिप को रोकने की कोशिश कर रहा था। शुरुआत में ही सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा कि यह क्या है? लोग यहां कुछ भी लेकर आते हैं? हम ऐसे मामलों पर लागत लगाना शुरू करेंगे। किसके साथ पंजीकरण? केंद्र सरकार के साथ? लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों से केंद्र सरकार को क्या लेना-देना? क्या आप इन लोगों की देखभाल, सुरक्षा को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं या उन्हें लिव इन रिलेशनशिप में आने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं?
याचिका एडवोकेट ममता रानी द्वारा दायर की गई थी और लिव-इन रिलेशनशिप के पंजीकरण के लिए नियम बनाने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की प्रार्थना की गई थी। याचिका में कहा गया है कि बार-बार यह माननीय न्यायालय लिव-इन पार्टनर्स का रक्षक रहा है और उसने कई फैसले पारित किए हैं, जो लिव-इन पार्टनरशिप के सदस्यों को सुरक्षा देने का प्रभाव डाल रहे हैं, चाहे वह महिला हों, पुरुष हों या यहां तक ​​कि ऐसे रिश्ते से पैदा हुए बच्चे भी।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button