स्वंय और समाज के लिए करें योग – देवनानी
जयपुर । राजस्थान विधान सभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा है कि स्वयं और समाज के लिए योग करें। योग का अर्थ जीवन में संतुलन है। योग स्वयं और समाज के मध्य संतुलन बनाने का बेहतर माध्यम है। योगासन भारत की प्राचीन विधि है, जो शरीर, मन और आत्मा के मध्य संतुलन स्थापित करने के लिए प्रयुक्त की जाती है। योग के माध्यम से शरीर की ऊर्जा को नियन्त्रित और संतुलित किया जाता है।
सभी मिल-जुलकर स्वस्थ भारत की रचना करें
विधान सभा अध्यक्ष देवनानी ने कहा कि सभी मिल-जुलकर स्वस्थ भारत की रचना करें। उन्होंने कहा कि शरीर, मन और मस्तिष्क स्वस्थ रहेंगे तब ही राष्ट्र की उन्नति होगी। राष्ट्र को स्वस्थ बनाने के लिए योग, यज्ञ और संतुलित आहार को आचरण में लाए। भारत विश्व गुरु है। भारत की परम्पराएं समृद्ध है। सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से राष्ट्र समृद्ध है। निरोगी राष्ट्र बनाने के लिए योग को जीवन का अंग बनाना होगा। योग स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। इस मशीनी युग में बदलती जीवन शैली के लिए योग की आवश्यकता बढ गई है।
योग आत्म विश्वास पैदा करता है
देवनानी ने कहा है कि योग इंसान को शारीरिक और मानसिक सुकून देकर मन की एकाग्रता को बढाता है और तनाव को कम करने में मददगार होता है। यह दुनिया और स्वंय को बेहतर तरीके से समझने और नई सोच के साथ नये काम को शुरू करने के लिए आत्माविश्वास पैदा करता है। देवनानी ने कहा कि योग सिर्फ आसन नहीं है। यह जीवन दर्शन है। शारीरिक विकास के साथ मानसिक विकास को भी योग एकाग्र की दिशा तय करने में सहयोगी है।
देवनानी ने कहा है कि योग दिवस पर सभी लोग योग करके समाज में आपसी सदभाव निर्माण में सक्रिय भागीदारी निभायें। एक-दूसरे के सुख-दुख में भागीदार बनकर बहुआयामी विकास के पथ पर प्रदेश को आगे बढाये।
देवनानी ने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस प्रतिवर्ष 21 जून को मनाया जाता है। यह दिन उत्तरी गोलार्ध में वर्ष का सबसे लम्बा दिन होता है। योग भी मनुष्य को दीर्घायु बनाता है। 11 दिसम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र के 177 सदस्यों द्वारा 21 जून को ”अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस” को मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली थी। भारत के इस प्रस्ताव को 90 दिन के अन्दर पूर्ण बहुमत से पारित किया गया, जो किसी प्रस्तावित दिवस को संयुक्त राष्ट्र संघ में पारित करने के लिए सबसे कम समय है। योग मनुष्य को प्रकृति से जोडता है। मनुष्य के शरीर, मन और मस्तिष्क को योग ऊर्जावान बनाता है। प्रकृति के साथ तालमेल सिखाने वाला योग हमारी सनातन संस्कृति की जीवन शैली का अभिन्न अंग है।