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जैसे आत्मा अजर-अमर है, वैसे ही काशी भी अविनाशी

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज वाराणसी में हैं। रुद्राक्ष सम्मेलन केंद्र में एक पुस्तक लॉन्च कार्यक्रम में उन्होंने संबोधित भी किया। इस दौरान रक्षा मंत्री ने कहा कि इस काशी का भारत और पूरे विश्व में क्या महत्व है ये मुझे काशी के लोगों को बताने की जरूरत नहीं है। काशी के हर निवासी की आत्मा में काशी बसती है। जैसे आत्मा अजर-अमर है वैसे काशी भी अविनाशी है। इसके साथ ही उन्होंने बाबा विश्वनाथ और मां अन्नपूर्णा की पुण्य भूमि काशी को नमन भी किया। राजनाथ ने कहा कि ‘देखो हमरी काशी’ में मानवीय संवेदनाओं का यथार्थ चित्रण है। खेल-खेल में वे व्यक्ति चित्र के साथ काशी का सांस्कृतिक इतिहास भी लिख गए हैं। ‘देखो हमरी काशी’ बिलकुल मस्‍त और फक्‍कड़ बनारसी शैली में लिखी गई किताब है।

भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस किताब में हमें कई ऐसे संदर्भ मिले जो काशी की जिजीविषा के अद्भुत प्रसंग हैं।मुझे ‘देखो हमरी काशी’ में वही काशी मिल गई है, जो तुलसी के युग से लेकर आज तक दुनिया को अपने ठेंगे पर रखती आई है। उन्होंने कहा कि यह पुस्‍तक विधाओं का अनोखा ‘फ्यूजन’ है। खाटी बनारस‍ियों की तरह जो इतिहास को गली के नुक्‍कड़ तक उतार लाते हैं। और तो और मंत्रों और गालियों के बीच एक अद्वैत संबंध भी बना लेते हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि किताब के सभी पात्र हेमन्त जी के जीवन के  सहयात्री और सहभागी हैं, समाज के हाशिए पर रह रहे ये सभी पात्र सदियों से हमारे सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन के अपरिहार्य अंग रहे हैं, वही समाज का आधार भी थे।लेखक इसलिए प्रासंग‍िक होता है क्यों कि वह अपनी रचनाओं में युगबोध को पिरोता है।

राजनाथ ने कहा कि हम सांस्कृतिक मनीषियों और राजनीतिक हस्तियों को शहर का पर्याय समझते हैं, पर यहाँ लेखक ने मनीषियों व शिखर पुरुषों के साक्षात्कार एवं उनके यशोगान से काशी को महिमामंडित नहीं किया है, बल्कि इसके उलट यहाँ की सांस्कृतिक विभूतियाँ रंगमंच के नेपथ्य में हैं और कथा के केंद्र में हैं। उन्होंने कहा कि जीवन जीना है तो उत्साहजीवी बनिए, उल्लासजीवी बनिए या फिर हेमंतजी की तरह ‘उत्सवजीवी’ बनने में भी कोई बुराई नही है। उनका यह उत्सवधर्मी व्यक्तित्व बना रहे। मौज मस्ती से लैस हो वे ऐसी ही किताबें लिखते रहें। यही बाबा विश्वनाथ से कामना है।

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