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जिंक में काम करते बिगड़ी थी तबीयत, मुवावजा मिला ना नौकरी, परिजनों ने रोका प्लांट का गेट

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चित्तौड़गढ़ । जिले के पुठोली में स्थित हिंदुस्तान जिंक प्लांट में कार्य करने के दौरान तबियत बिगड़ने से एक व्यक्ति की मौत के मामले में परिजनों ने शुक्रवार को प्लांट के गेट पर प्रदर्शन कर दिया। सुबह की शिफ्ट में जाने वाले कार्मिकों को रोक दिया। परिजनों और मृतक के रिश्तेदारों का आरोप है कि एक माह गुजरने के बाद भी ना तो मृतक के आश्रित को नौकरी दी ना ही आर्थिक सहायता दी, जबकि जिंक प्रबंधन ने इस पर सहमति प्रदान की थी। मौके पर चंदेरिया थाना पुलिस का जाप्ता तैनात किया है। इधर, बेरोजगार संघर्ष समिति के पदाधिकारी भी मौके पर पहुंचे हैं। इन्होंने मौताना प्रथा बंद कर उद्योगिक संस्थाओं में होने वाली मौत के मामले में एक नीति बनाने की मांग जिला प्रशासन से की है।

जानकारी के अनुसार भीलवाड़ा जिले के मांडलगढ़ विधानसभा क्षेत्र में आने वाले बाकली गांव से कुछ लोग शुक्रवार सुबह जिंक प्लांट पहुंचे। यहां प्लाट के मुख्य गेट पर धरना दे दिया। साथ ही मुख्य गेट से आवा जाही को ही बंद कर दिया। ग्रामीणों का आरोप था कि भीलवाड़ा जिले में बाकली निवासी श्रवण सिंह (49) जिंक प्लांट के सेल हाउस में प्रोसेस असिस्टेंट के पद पर कार्यरत थे। गत 18 जुलाई को प्लांट कार्य पर आए थे और चेक इन हुआ था। कार्य करने के दौरान श्रवणसिंह की तबियत बिगड़ गई, जिस पर जिंक की एम्बुलेंस में जिला चिकित्सालय लेकर गए। यहां से उदयपुर और बाद में अहमदाबाद रैफर करना पड़ा। यहां उपचार के दौरान 8 जुलाई को श्रवणसिंह ने दम तोड़ दिया था। परिजनों का आरोप है कि तब जिंक प्रबंधन से बात हुई थी।

जिंक प्रबंधन ने मृतक के आश्रित को नौकरी देने और आर्थिक सहायता देने की बात कही थी। लेकिन एक माह का समय बितने के बाद भी कोई बात नहीं हो पाई। ऐसे में परिवार के लोगों ने धरना देकर प्रदर्शन कर दिया। अचानक लोगों के धरने पर बैठने से जिंक प्रबंधन के हाथ पैर फूल गए। सूचना मिलने पर चंदेरिया थाना पुलिस का जाप्ता तैनात कर दिया गया। सुबह की शिफ्ट में कार्मिक मुख्य गेट से प्लांट के भीतर नहीं जा पाए। वहीं दोपहर की शिफ्ट में भी लोग मौके पर डटे रहे। ऐसे में सैकंड शिफ्ट में भी कार्मिकों के भीतर जाने पर संशय बना हुआ है। इधर, युवा बेरोजगार संघर्ष समिति के योगेश दशोरा, पवन गोस्वामी आदि मौके पर पहुंचे। यहां प्रदर्शन कर रहे लोगों से बात की। साथ ही जिला प्रशासन एवं जिंक प्रबंधन से मांग की है कि इस तरह से मौताना प्रथा बंद होनी चाहिए। किसी भी उद्योग में हादसा या किसी कारणवश कार्मिक की मौत होने की स्थिति में अलग से नीति बनाई जाए।

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